FII selling continues for third straight session: Is valuation the big worry for India now?

विदेशी निवेशक लगातार तीसरे सत्र और जून में अब तक इक्विटी में नेट सेलर रहे हैं. उन्होंने पिछले दो कारोबारी सत्रों में 5,000 करोड़ रुपए और पिछले तीन सत्रों में 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की बिक्री की है. डेटा के मुताबिक देखें तो विदेशी निवेशक इस समय असमंजस में दिख रहे हैं. वो पैसा डाल तो रहे हैं लेकिन उसी तेजी से पैसा निकाल भी रहे हैं.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्केट एक्सपर्ट अरुण केजरीवाल ने बताया कि, “इवोल्यूशन के लिहाज से ऐसा नहीं है कि कोई चिंता नहीं है, लेकिन चौथी तिमाही के नतीजों के बाद ये चिंताएं निश्चित रूप से कम हुई हैं. अगर आप चौथी तिमाही के प्रदर्शन को देखें तो खासकर लार्ज कैप के लिए तो ये विशेष रूप से अच्छा है. चौथी तिमाही के बाद इवोल्यूशन मैट्रिक्स में सुधार हुआ है.

ब्लॉक डील्स बनी वजह

मौजूदा बिकवाली को लेकर बहुत ज्यादा नहीं सोचना चाहिए क्योंकि ये बाजार में हाल ही में हुई ब्लॉक डील्स की वजह से भी है. इसलिए विदेशी निवेशक भी इस मौजूदा चरण का लाभ उठाने के लिए जहां से भी संभव हो प्रॉफिट बुक करने के अवसर खोज रहे हैं. लंबे समय के लिए कोई बड़ी चिंता नहीं है.

विदेशी निवेशक बिकवाली क्यों कर रहे हैं?

अधिकतर मार्केट एक्सपर्ट्स की राय है कि वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियां फॉरेन इंस्टीट्यूशनल निवेशकों के लिए फ्लो के मामले में चिंता अधिक प्रभावित कर रही हैं. मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा ने बताया कि वर्तमान आउटफ्लो ज्यादा “प्रमोटरों द्वारा ब्लॉक डील के माध्यम से बिक्री के साथ-साथ अमेरिकी विश्वविद्यालयों द्वारा फंडिंग में कटौती का सामना करने और निवेशित फंड वापस लेने के कारण है.

यहां तक कि दक्षिण कोरिया और जापान जैसे बाजारों में भी आउटफ्लो देखा गया है. विकास के हिसाब से भारतीय इवोल्यूशन कोई मुद्दा नहीं है. ट्रेडिंग में FIIs ने नेट सेलिंग की थी और इसकी अहम वजह ये थी वो एक तय वैल्यूएशन से ऊपर भारतीय स्टॉक्स खरीदने में सहज नहीं है. इस कारण से मार्केट में कुल मिलाकर खरीदारी की भावना भी कमजोर पड़ी है.

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिटेल रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि अभी सटीक संकेत देना मुश्किल है,” भारतीय इक्विटी बाजार में विदेशी निवेशकों के फ्लो को प्रभावित करने वाले कई कारण हैं. वैश्विक नकारात्मक कारक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच टैरिफ को लेकर बातचीत और एल्यूमीनियम और स्टील सेक्टर पर नए टैरिफ ने भी धारणा को प्रभावित किया. इसके अलावा, चौथी तिमाही के आंकड़ों के बाद कुछ मुनाफावसूली भी देखी है.

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